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कारगिल विजय दिवस

" शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पे मिटने वालों का यही बाकी निशां होगा। "

कारगिल युद्ध जो कारगिल संघर्ष के नाम से भी जाना जाता है, भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में मई के महीने में कश्मीर के कारगिल जिले से प्रारंभ हुआ था।

इस युद्ध का कारण था बड़ी संख्या में पाकिस्तानी सैनिकों व पाक समर्थित आतंकवादियों का लाइन ऑफ कंट्रोल यानी भारत-पाकिस्तान की वास्तविक नियंत्रण रेखा के भीतर प्रवेश कर कई महत्वपूर्ण पहाड़ी चोटियों पर कब्जा कर लद्दाख को भारत से जोड़ने वाली सड़क का नियंत्रण हासिल कर सियाचिन-ग्लेशियर पर भारत की स्थिति को कमजोर कर हमारी राष्ट्रीय अस्मिता के लिए खतरा पैदा करना।

प्रारंभ में, घुसपैठ की प्रकृति या सीमा के बारे में कम जानकारी के साथ, क्षेत्र में भारतीय सैनिकों ने माना कि घुसपैठिए जिहादी थे और उन्होंने घोषणा की कि वे कुछ दिनों के भीतर उन्हें निकाल देंगे। LOC के साथ कहीं और घुसपैठ की खोज के बाद, घुसपैठियों द्वारा नियोजित रणनीति में अंतर के साथ, भारतीय सेना को एहसास हुआ कि हमले की योजना बहुत बड़े पैमाने पर थी। इनग्रेस द्वारा जब्त किए गए कुल क्षेत्र को आमतौर पर लगभग 130 km² - 200 km by के बीच स्वीकार किया जाता है।

भारत सरकार ने ऑपरेशन विजय के साथ जवाब दिया,लगभग  200,000 भारतीय सैनिकों का जमावड़ा। 26 जुलाई, 1999 को युद्ध का आधिकारिक अंत हो गया, इस प्रकार इसे कारगिल विजय दिवस के रूप में चिह्नित किया गया।

युद्ध के दौरान भारतीय सशस्त्र बलों के 527 सैनिकों ने अपनी जान गंवाई।

भारत के वीर सपूत : कैप्टन विक्रम बत्रा, कैप्टन अनुज नायर. मेजर पद्मपाणि आचार्य. लेफ्टिनेंट मनोज पांडेय, कैप्टन सौरभ कालिया, स्क्वाड्रन लीडर अजय आहूजा,इत्यादि  वीरता और बलिदान की यह फेहरिस्त यहीं खत्म नहीं होती। भारतीय सेना के के लगभग 200,000 अधिकारी व जवानों ने ऑपरेशन विजय में भाग लिया।
                     

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